शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

प्रयास
प्राणवायु अभियान : पौधारोपण की अनुठी पहल
क्रांतिदीप अलूने

    केन्द्रीय भू-जल सर्वेक्षण बोर्ड नई दिल्ली द्वारा गत वर्षो में रतलाम जिले के ६ विकासखण्डों रतलाम, जावरा, बाजना, आलोट, पिपलोदा एवं सैलाना में से चार विकासखण्डों रतलाम, जावरा, आलोट एवं पिपलौदा को गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए ओवर एक्सलॉइटेड झोन घोषित किया  गया । क्षेत्र में भू-जल स्तर खतरनाक स्थिति से नीचे चला गया ।
    क्षेत्र को धीरे-धीरे रेगिस्तान में बदलने की कगार पर पहुंचाने से बचाने के लिये कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर द्वारा पूर्व में किये गये वृक्षारोपण कार्यो से हटकर शत-प्रतिशत उत्तरजीविता सुनिश्चित करने वाले वृक्षारोपण कार्य को अंजाम दिया गया । इस सम्पूर्ण कार्य को प्राणवायु अभियान के रूप में संचालित किया गया । जिले में इस अभियान अन्तर्गत चार श्रेणियां निर्धारित करते हुए विभिन्न प्रजातियों के लगभग छ: लाख ३६ हजार २७८ पौधे लगाये गये । 
     पौध रोपण के पूर्व विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई । आवश्यक तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया । मॉनिटरिग के लिये दल गठित किये गये । पौधों की सिंचाई एवं सुरक्षा के लिये पौध रक्षक नियुक्त किये गये । समस्त अभियान को समयसीमा निर्धारित करते हुए संचालित किया गया । परिणाम स्वरूप आज रतलाम जिले में एक समय में एक साथ लाखों की संख्या में पौधे लहलहा रहे है जो आने वाली पीढ़ी को सतत पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रेरित करते रहेगे ।
    प्राणवायु अभियान के  अन्तर्गत सड़क किनारे किये गये प्रत्येक एक किलोमीटर के दायरे में पौध रोपण और जहां एक साथ पचास पौधे लगाये गये की सुरक्षा के लिये एक पौध रक्षक को रखा गया । पौध रक्षक मनरेगा योजना के मस्टर रोल पर तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति अनुसार रखा गया । पौध रक्षकों को भुगतान मनरेगा योजनान्तर्गत ही किया जा रहा है । प्रत्येक पौध रक्षक को प्राणवायु अभियान लिखी हुई दो टी-शर्ट एवं एक टोपी प्रदान की गई ताकि उसकी पहचान सुनिश्चित की जा सके ।
    पौध रक्षक मार्ग के दोनों और लगे पौधों की सिंचाई स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराये गये जल स्त्रोंतो से करने के साथ ही उनकी सुरक्षा भी कर रहा है । स्थानीय रूप से उपलब्ध क्रॅटिली झाड़ियां अथवा ट्री गार्ड बनाकर पौधों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा रही है । पौध रोपण का कार्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं विधायकों की उपस्थिति में जिले में कई स्थानों पर समारोहपूर्वक प्रारंभ किये गये ताकि आमजन को पौधों के  संरक्षण एवं बचाव के लिये जागरूक व प्रेरित किया जा सके ।
    प्राणवायु अभियान अन्तर्गत लगाये गये पौधो की सुरक्षा करने वाले छात्र या छात्र समूह सम्मानित हांेगे । शासकीय परिसरों में होने वाले पौध रोपण कार्य में पौधों की सिंचाई एवं सुरक्षा का दायित्व संबंधित संस्था प्रमुख का है । शालाआें, छात्रावासों आदि में विद्यार्थियों का विभिन्न नामो से समूह गठित कर रोपित पौधों की सिंचाई एवं सुरक्षा का दायित्व सौपा गया है । सबसे उत्तम पौधे पाये जाने  पर संबंधित विद्यार्थी अथवा समूह सम्मानित होगे ।
    नंदन फलोघान में लगने वाले पौधों की सिंचाई एवं सुरक्षा हितग्राही स्वयं कर रहा है । जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति अनुसार उसे मजदूरी भी मिल रही है । ग्राम में स्थित खुली या पड़त भूमि पर सघन वन या उद्यान विकसित करने के कार्य में संबंधित क्षेत्र के वन विभाग के बीटगार्ड द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उसकी सिंचाई एवं सुरक्षा का दायित्व निभाया जा रहा है । पहाड़ियों पर पौध रोपण व सिटिंग के कार्य में सिंचाई एवं सुरक्षा का कार्य भी संबंधित बीट गार्ड द्वारा किया जा रहा है ।
    प्राणुवायु अभियान अन्तर्गत सड़क के किनारे किये जाने वाले वृक्षारोपण मेंअधिकांशत: उन पौधों का रोपण किया गया है जिनको सामान्य तौर पर मवेशी नुकसान नहीं पहुंचाते है । सड़क किनारे यदि शासकीय भूमि पर्याप्त् रूप से उपलब्ध नहीं हुई वहां निजी भूमि पर पौध रोपण का कार्य किया गया । रोपित होने वाले पौधे जिस कृषक की भूमि पर पुष्पित और पल्लवित होंगे उन पौधों और वृक्षों का मालिकाना हक उसी कृषक का रहेगा ।
    इस अनूठी पहल के सूत्रधार जिला कलेक्टर बी. चन्द्रशेखर के अनुसार इस अभियान का मुख्य उद्देश्य निरन्तर कम होती हरियाली को बनाए रखना एवं उसमेंवृद्धि करना है ।
    सभी जानते हैं कि मनुष्य को जीवित रहने के लिये सबसे आवश्यक प्राणवायु होती है और यह भी कि वह हमें मात्र पेड़ पौधों से ही प्राप्त् होती है फिर भी निरन्तर पेड़ पौधे कम हो रहे हैं । अत: यह आवश्यक है कि पौधारोपण के कार्य को हम अपने जीवित रहने की प्रक्रिया से जोड़कर देखे । इसलिये पौधरोपण के इस अभियान को प्राणवायु नाम दिया गया है जिससे कि आम जनता की सहभागिता बढ़े और पौधे लगाते समय एवं उनकी सुरक्षा के समय यह बात उनके मन में रहे कि वे अपने एवं भविष्य की पीढ़ी के लिये प्राणवायु की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे हैं ।
    प्राय: हम देखते है कि प्रतिवर्ष लगाए गए पौधे सुख जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं । पौधो की उत्तरजीविता अत्यन्त कम रहती है । इसका प्रमुख कारण निम्नानुसार होते हैं - पौधे की गुणवत्ता, उसे लगाने हतु किया गया गढ्डा, पौधा लगाने की प्रक्रिया, आवश्यक खाद, कीटनाशक, मिट्टी और लगाने के बाद उसकी पुख्ता सुरक्षा पर पर्याप्त् ध्यान न दिया जाना । प्राणवायु अभियान के तहत हमने सभी बिन्दुआें पर फोकस किया है जिससे शतप्रतिशत पौधे जीवित रहे और बड़े पेड़ों के रूप में विकसित हो ।                

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