गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

खास खबर
पृथ्वी पर मंगल जैसे पर्यावरण की तलाश
नासा और ईएसए स्पेस एजेंसियां लाल ग्रह मंगल पर लोगों की यात्रा के लिए अपनी तकनीकों का परीक्षण पृथ्वी के चार इन्तहाई पर्यावरणों में कर रही है । इन पर्यावरणों का चुनाव इस आधार पर किया गया था कि मंगल ग्रह पर संभवत: ऐसी जगहें मिल सकती है जहां अंतरिक्ष यात्रियों को रहना पड़े । 
हवाई स्पेस एक्सप्लोरेशन एनालॉग एंड सिमुलेशन (कख-डएअड) ने ६ शोधकर्ताआें को मोना लोआ के एक सक्रिय ज्वालामुखी की ढलान के २५०० मीटर पर १११ वर्ग मीटर गुबंद में ३६६ दिन तक रूकने का काम सौंपा था । वे आसपास के पर्यावरण का पता लगाने के लिए बाहर केवल स्पेस सूट पहनकर ही जा सकते थे । इस पूरे एक साल में उन्हें किसी और से नहीं मिलना था और सभी तरह की बातचीत में २० मिनट की देरी की जाती थी क्योंकि मंगल से पृथ्वी पर बातचीत के दौरान इतनी ही देरी होती है ।
इस परिस्थिति में उन्हें कम पानी और एलईडी की रोशनी में फसल भी उगाने का प्रयोग करना  था । उन्होंने इस जलकृषि द्वारा उगी मूली, गोभी और मसूर को खाया और दही और पनीर जैसे किण्वित खाद्य पदार्थ बनाए । 
चालक दल सदस्यों ने मंगल पर छुटि्टयों के लिए अपना कैलेण्डर भी तैयार किया है जो पृथ्वी के कैलेण्डर से अलग है । मंगल ग्रह पर अनुमानित तापमान ५५ डिग्री सेल्सियस है । इस तरह के तापमान में लंबे समय तक रहना बड़ी चुनौती है । पिछले साल चालक दल के १३ सदस्य अंटार्कटिका के कॉन्कोर्डिया स्टेशन में रहे थे, यह देखने के लिए कि ठंड, अंधकार और तनहाई का क्या मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है । 
सभी ने गतिविधि घड़ियां पहनी हुई थी जो यह बताती थी कि दूसरा व्यक्ति करीब आ रहा है । युरोपियन स्पेस एजेंसी के चालक दल के सदस्य बैथ हैली, जो एक डॉक्टर भी हैं, ने बताया कि इस समूह को उप-समूहों के आधार पर विभाजित किया गया था, जो पूरे १०० दिनों में अत्यधिक धु्रवीय अंधकार में जागते थे । कृत्रिम प्रकाश में कुछ लोगों का सोने-जागने का चक्र कॉफी गड़बड़ रहा जबकि अन्य का वही पारंपरिक चक्र सुबह ९ से शाम ५ का होता   था । और आप उन्हीं के दोस्त हो सकते हैंजो एक समय पर जगे रहें । साथ ही एक समय पर भोजन करना अलग-अलग समूहों में संवाद को बढ़ाता है । 
हैली ने अपने साथियों द्वारा लिखी गई वीडियो डायरी को देखकर यह जांचने की भी कोशिश की कि पूरे मिशन के दौरान लोगों का बातचीत का तरीका कैसाथा और वहां रहने के पहले और बाद की परिस्थिति को भी मस्तिष्क स्कैन के जरिए देखा । आश्चर्यजनक रूप से देखने को मिला कि इस दौरान मस्तिष्क में इन परिस्थितियों के लिए काफी लचीलापन था । हैली ने बताया कि वहां धन का कोई महत्व नहीं था बल्कि पूरी यात्रा के दौरान वही उपस्थित वस्तुआें से बनाए गए तोहफे एक-दूसरे के लिए यादगार रहे थे । 
अगली गतिविधि उटा के दूरदराज के इलाके मेंकी गई जहां की मिट्टी लाल ग्रह जैसी है । यहां बनाए घर बेलनाकार थे । इन घरों मं से जब भी वे एयरलॉक के जरिए अपना सिर बाहर निकालते थे तब उन्हेंनारंगी रंग का जंपसूट और बबल हैलमेट पहनना होता था । वहां पर्याप्त् बारिश होती है जिससे घास, फफूंद और मिट्टी के सूक्ष्मजीव पनप सकते थे ।

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