रविवार, 16 अप्रैल 2017

 कविता
फूल कभी नहींमरता
डॉ. अजीत रायजादा

    गिरा था
    खून जहां उसका
    वह मिट्टी लाल नहीं
    स्वर्णिम हो गई है
    उग आया है उस जगह
    सरसों का एक फूल
    जिसका चोला बसन्ती है !
    धरती का चीर कर सीना
    ऐसे लाखों फूल और निकलने वाले हैं
    क्योंकि फूल कभी नहीं मरता
    उसके बीज से फिर से पैदा होता है फूल
    और चलता रहता है
    अनन्त काल तक यह सिलसिला
    बीज-फूल, फूल-बीज, बीज-फूल...........
    तुम्हारी बन्दूक में
    और कितनी गोलियां है ?
    तुम्हारी खुद की साँसें कितनी हैं ?
    आखिर तुम चाहते क्या हो ?
    तुम्हारे जुनून से
    बदलने वाली नहीं है
    अब इस देश की भाग्य रेखा
    नहीं होने वाले हैं इसके और टुकड़े
    क्योंकि
    भारत मां के रक्त बीज से
    यहाँसदा खिलते ही रहेंगे
    बसन्ती चोले वाले
    सरसों के फूल !

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