मंगलवार, 15 अगस्त 2017

पर्यावरण समाचार
अब फोन से रखी जा सकेगी प्रदूषण पर नजर 

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जिससे बेहद आसानी से ओर कम खर्च में वातावरण में मौजूद प्रदूषण की मात्रा कितनी है, यह पता की जा सकेगी। इस डिवाइस की खास बात यह है कि यह हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड की न्यूनतम मात्रा को भी पकड़ लेती है । 
बेगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कम लागत वाली अत्यन्त संवेदनशील नैनो-सेंसर विकसित की है, जो कार्बन मोनोऑक्साइड के न्युनतम स्तर का भी पता लगा सकती है । इस नैनो-सेंसर की मदद से भविष्य में मोबाइल फोन के जरिये भी प्रदूषण की निगरानी की जा सकती है ।
जिंक ऑक्साइड से बने शहद के छते जैसे आकार के इस नैनो सेंसर को विकसित करने में नई फै बिक्रेशन तकनीक का उपयोग किया गया है । इसका फायदा यह होगा कि अब इस तरह के नैनो सेंसर बनाने के लिए लिथोग्राफी जैसी लंबी एवं खर्चीली प्रक्रिया की जरूतर नहीं होगी । सेंसर्स एंड एक्चुऐटर्स शोध मैगजीन में यह शोध प्रकाशित की गई है । 
इस सेंसर का आकार एक मिमी से भी कम है । इसे अगर सिंगल प्रोसेसिंग इलेक्ट्रोनॉक्सि और छोटे डिस्प्ले से जोड़ दिया जाए तो उसका आकार कुछेक सेमी से अधिक नहीं होगा । इसे ट्रेफिक सिग्नल पर एक छोटी सी डिवाइस में लगाकर सेलफोन से जोड़ा जा सकता है । वह डिवाइस ब्लटूथ के जरिये प्रदूषण संबंधी आंकड़ों को सेलफोन पर भेज देगी । इस शोध टीम के प्रमुख भारतीय विज्ञान संस्थान, बेगलूरू के प्रोफेसर नवकांत भट्ट के अलावा संस्थान के चन्द्रशेखर प्रजापति व स्वीडन के केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट के कुछ वैज्ञानिक भी शामिल थे । 
नैनो-सेंसर बनाने के लिए पॉलिस्ट्रीन से बने छोटे-छोटे बीड्स का उपयोग किया गया है । ऑक्सीकृत सिलिकॉन की सतह पर जब इन बीड्स को फैलाया जाता है तो ये आपस में जुड़कर एक परत बना देते है । इस पर जब जिंक ऑक्साइड का उपयोग किया जाता है तो वह बीड्स के बीच षटकोणीय दरारोंमें समा जाता है । 

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