शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

पर्यावरण समाचार
अब आरओ वाटर से होगा महाकालेश्वर का अभिषेक 
उच्च्तम न्यायालय ने उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिग  महाकालेश्वर मंदिर में मूर्ति में हो रहे क्षरण को रोकने के लिए निर्देश दिये इनमें आरओ वाटर से अभिषेक और भस्मभारती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरा ढँकना शामिल है । 
न्यायालय ने अब मन्दिर प्रशासन को आठ सुझावों पर अमल करने के लिए हरी झंडी दे दी है जिनमें शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल की मात्रा तय करना भी शामिल है । 
शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे और बेलपत्र एवं फूल-पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग पर चढ़ेगे । शाम पांच  के बाद अभिषेक पूरा होने पर शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी । 
उज्जैन की सारिका गुरू की याचिका के बाद न्यायालय ने भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की टीमें गठित की थी और ज्योतिर्लिग के क्षरण की जांच का आदेश दिया था । भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने शीर्ष अदालत में पिछले दिनों पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विश्वप्रसिद्ध भस्मभारती में कंडे की राख चढ़ाई जाती है जिससे शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। इसके अलावा महाकाल मंदिर के शिवलिंग पर दूध, दही, घी और शहद सहित शक्कर एवं फूलमाला के प्रभाव से भी क्षरण हो रहा है । 
महाकाल शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर, घी) से अभिषेक होना चाहिए या नहीं अथवा इसकी मात्रा सीमित हो, इसका फैसला न्यायालय करेगा । क्षरण को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट के आदेश से बनी विशेषज्ञों की कमेटी ज्योतिर्लिग की जांच कर चुकी है । कमेटी ने पंचामृत की मात्रा सीमित करने की अनुशंसा की है । देश के अन्य ज्योतिर्लिग के पुजारियों के अनुसार कुछ ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालु दुध-पंचामृत से अभिषेक नहीं कर सकते इनमें आेंकारेश्वर, त्रंबकेश्वर, भीमाशंकर, मल्लिकार्जुन, केदारनाथ और सोमनाथ शामिल    हैं । यहां सीमित मात्रा में पुजारी द्वारा ही अभिषेक किया जाता है । 

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