शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

हमारा भूमण्डल
बिग बैंग के बाद प्रथम ब्लैक होल की खोज
प्रदीप
महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि मनुष्य स्वभावत:  जिज्ञासु है तथा उसकी ब्रह्मांड की व्याख्या करने की एक अदम्य इच्छा है । 
ब्रह्मांड की कई संकल्पनाआें ने मानव मस्तिष्क को हज़ारों वर्षो से उलझन में डाल रखा है । वर्तमान में वैज्ञानिक ब्रह्मांड की सूक्ष्मतम एवं विशालतम सीमाआेंतक पहुंच चुके है । ब्रह्मांड के प्रेक्षणोंसे खगोलविदों को ब्रह्मांड की विचित्रताआें और रहस्यों के बारें में पता चला है । दिलचस्प यह है कि ब्रह्मांडीय पिंडों के बारे में हमारे ज्ञान में वृद्धि के साथ और अधिक विचित्रतांए सामने आती गई है । ब्रह्मांड की इन्ही विचित्रताआें में से एक है ब्लैक होल या श्याम विवर ।
ब्लैक होल अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसे पिंड होते है, जो अपने द्रव्यमान की तुलना में आकार में बहुत छोटे होते है । इनका गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि इनके चंगुल से प्रकाश की किरणोंका निकलना भी असंभव होता है । चूंकि ब्लैक होल प्रकाश की किरणों को भी अवशोषित कर लेते है , इसीलिए ये हमारे लिए सदैव अदृश्य ही बने रहते है ।
आजकल ब्लैक होल एक बार फिर से चर्चा में है क्यांकि मैसाचूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के खगोल वैाानिकोंने पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी पर स्थित एक विशालकाय ब्लैक होल की खोज की है । इस ब्लैक होल को जे१३४२+०९२८ नाम दिया गया है । इस विशालकाय ब्लैक होल की मौजूदगी के संकेत एक अत्यधिक चमकील क्वासर (क्वासी स्टेलर रेडियो सोर्स) के केंद्र में मिले है । क्वासर ने भी लंबे समय से खगोल वैज्ञानिकों को उलझन में डाल रखा है । वैसे तो ये क्वासर हमारी आकाशगंगा (मिल्की वे) से करीब पांच लाख गुना छोटे पिंड है, मगर ये १०० से अधिक आकाशगंगाआें के बराबर रेडियों तरंगों का उत्सर्जन करते है । क्वासर की खोज के ही समय कुछ वैज्ञानिकोंने अनुमान लगाया था कि ब्रह्मांड के ये रहस्यमय बाशिंदे ब्रह्मांड की दूरस्थ सीमाआें पर स्थित हो सकते हैं । एमआइटी द्वारा की गई इस हालिया खोज ने वैज्ञानिकों के इस पूर्वानुमान की पुष्टि की है तथा यह भी संकेत दिया है कि क्वासर के केंद्र में विशालकाय ब्लैक होल मौजूद हो सकते हैं ।
इस नवीनतम खोज से यह पता चला है कि जे१३४२+०९२८ ब्लैक होल के मुखिया क्वासर ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति की घटना (बिग बैंग) के कुछ समय बाद प्रकाश/रेडियो तरंगों का उत्सर्जन शुरु कर किया होगा । उस प्रकाश ने हम तक पहूंचने के लिए लगभग १३ अरब वर्ष का समय लिया होगा । यह समयावधि लगभग हमारे ब्रह्मांड की उम्र के बराबर है । इस क्वासर के प्रकाश की तेजस्विता आधुनिक खगौलीय मानकोंके आधार पर इस ब्लैक होल को प्रारम्भिक ब्रह्मांड का निवासी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । इस ब्लैक होल का द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान से लगभग एक अरब गुना अधिक है । 
इस दूरस्थ व अति प्राचीन ब्लैक होल की खोज कार्नेजी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के खगोल वैज्ञानिक एडुआर्डो बनाडोस के निर्दशन मे की गई है । इस खोज में वाइडफील्ड इंफ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर (वाइस) के आंकड़ों के अलावा चिली स्थित मेजीलान दूरबीन, एरिज़ोना स्थित लार्ज बायनोंक्यूलर दूरबीन और हवाई में स्थापित जेमिनी नॉर्थ दूरबीन की सहायता ली गई । 
यह खोज ब्रह्मांड वैज्ञानियों के लिए एक बड़ा रहस्य बनकर सामने आई है क्योंकि इस ब्लैक होल का निर्माण बिग बैंग के ठीक बाद हुआ था, जबकी वर्तमान खगोलीय सिद्धांतों के अनुसार उस समय तो आकाशगंगाआें और तारों को जन्म देने वाली निहारिकाआें का भी निर्माण शुरु नहीं हुआ था । 
इस संदर्भ में एमआइटी के कवली इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिज़िक्स एंड स्पेस रिसर्च के खगोल वैज्ञानिक रॉबर्ट सिमको और फ्रांसिस फ्रीडमैन का कहना है कि ` यह एक अत्यधिक द्रव्यमान वाला ब्लैक होल है जब ब्रह्मांड बिल्कुल नया रहा होगा, ब्रह्मांड का विस्तार भी ज़्यादा नहीं हो पाया होगा अर्थात जब ब्रह्मांड एक बहुत बड़े ब्लैक होल को जन्म देने के लिए पर्याप्त् भी नही रहा होगा, उस समय एक ब्लैक होल की उत्पत्ति आश्चर्यचकित करती है ।'
यह सर्वविदित तथ्य है कि जब सूर्य से लगभग १० गुना अधिक द्रव्यमान वाले तारोंका हाइड्रोजन और हीलियम रुपी इंर्धन खत्म हो जाता है, तब उन्हें फैलाकर रखनें वाली ऊ र्जा चुक जाती है और वे अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के कारण सिकुड़कर अत्यधिक सघन पिंड ` ब्लैक होल 'बन जाते है ।
प्रश्न यह उठता है कि जब तारों का ही जन्म नहीं हुआ था तब तारों के अवशेष से एक अत्यंत विशालकाय ब्लैक होल की उत्पत्ति कैसे हुई होगी ? क्या यह संभव है कि पिता के जन्म से पहले पुत्र का जन्म हो जाए ? यह नवीनतम खोज बिग बैंग को ब्रह्मांड की उत्पत्ति की सम्पूर्ण तार्किक व्याख्या मानने से इंकार करती है और उसमेंसंशोधन की मांग करती नज़र आ रही है । 
ब्रह्मांड की उत्पत्ति कब और कैसे हुई? क्या यह सदैव से अस्तित्व मेंथा या इसका कोई प्रारम्भ भी था ? इसकी उत्पत्ति से पूर्व क्या था ? क्या इसका कोई जन्मदाता भी है ? यदि ब्रह्मांड का कोई जन्मदाता है तो पहले ब्रह्मांड का जन्म हुआ या उसके जन्मदाता का ? यदि पहले ब्रह्मांड का जन्म हुआ तो उसके जन्म से पहले उसका जन्मदाता कहां से आया? इस विराट ब्रह्मांड की मूल संरचना कैसी है - ये कुछ ऐसे मूलभूत प्रश्न है जो आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने सदियोंपूर्व थे । हमारा अद्भुत ब्रह्मांड रहस्यों से भरा पड़ा है । लेकिन अब हम विज्ञान प्रश्नों के जवाब तो देता है किंतु साथ ही सर्वथा नए प्रश्न भी खड़े कर देता है । ***

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